स्वाद में कड़वा लेकिन है गुणकारी है करेला जूस
करेले का नाम सुनते ही कड़वे स्वाद की कल्पना आना स्वाभाविक है। आमतौर पर लोग इसके कड़वेपन के कारण इसे पसंद नहीं करते, लेकिन आयुर्वेद में करेला औषधीय गुणों का भंडार माना गया है। यदि इसे चिकित्सक की राय के उपरान्त इसके रस का सेवन किया जाय तो यह अधिक गुणकारी हो जाता है। इसके नियमित सेवन से कई स्वास्थ्य समस्याओं से राहत पाई जा सकती है। करेले का जूस खासतौर पर सेहत के लिए फायदेमंद है और कई बीमारियों को जड़ से ठीक करने में सहायक है। आइए जानते हैं करेले के जूस (Bitter Gourd Juice Benefits) के फायदे और इसके सेवन के सही तरीके।
करेले का जूस पीने के फायदे
ब्लड शुगर नियंत्रण में सहायकआयुर्वेद के अनुसार, करेला मधुमेह (डायबिटीज) के रोगियों के लिए एक वरदान है। इसमें इंसुलिन जैसे यौगिक पाए जाते हैं, जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। नियमित रूप से करेले का जूस पीने से शरीर में इंसुलिन का स्तर बढ़ता है और इसे बेहतर तरीके से उपयोग करने में मदद मिलती है, जिससे मधुमेह के लक्षणों में कमी आती है।
हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभकारी
करेले के जूस में पोटैशियम, फाइबर, और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो हृदय को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं। यह शरीर में जमा बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है, जिससे हार्ट डिजीज का खतरा कम हो सकता है। नियमित सेवन से ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखा जा सकता है, लेकिन इसके सेवन से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
पाचन तंत्र के लिए उपयोगी
करेले का जूस पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में मददगार होता है। इसमें पाए जाने वाले फाइबर और अन्य यौगिक कब्ज से राहत देते हैं और पाचन प्रक्रिया को सामान्य बनाए रखते हैं। यह विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में भी सहायक है, जिससे पेट संबंधी समस्याएं दूर होती हैं और गट हेल्थ में सुधार होता है।
स्किन हेल्थ के लिए फायदेमंद
करेले में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन C त्वचा के लिए भी लाभकारी होते हैं। यह त्वचा को अंदर से साफ करता है, जिससे मुंहासे, दाग-धब्बे, और झुर्रियों से छुटकारा मिलता है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से त्वचा में निखार आता है और त्वचा स्वस्थ रहती है।
करेले का सेवन कैसे करें
करेले का कड़वा स्वाद कम करने के लिए इसे नींबू, शहद या अदरक के साथ मिलाकर पी सकते हैं। इससे जूस का स्वाद बेहतर हो जाता है और इसके औषधीय गुणों का भी लाभ मिलता है।
आयुर्वेदिक ग्रंथों में करेला को ‘तिक्त-रसा’ माना गया है, जिसका अर्थ है कड़वे स्वाद वाला, जो पित्त और कफ को संतुलित करने में सहायक है। ‘चरक संहिता’ में करेला के औषधीय गुणों का उल्लेख मिलता है, जिसमें इसे ज्वर, पाचन समस्याओं और रक्त विकारों में लाभकारी बताया गया है।