कोष्ठ शुद्धि से बढाए रोग प्रतिरोधक क्षमता
कोष्ठ शुद्धि से कैसे बढ़ती है इम्यूनिटी? आयुर्वेद में उपलब्ध शक्तिशाली औषधियां
आज के प्रदूषित दौर में संक्रमण से बचने के लिए हम सभी अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए तरह-तरह की औषधियों का सेवन करते हैं। लेकिन आयुर्वेद बताता है कि यदि इन औषधियों को लेने से पहले पेट (कोष्ठ) की शुद्धि कर ली जाए, तो औषधियां कई गुना अधिक प्रभावी हो जाती हैं।
कोष्ठ शुद्धि क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण होता है?
जब पेट में जमा अपाच्य पदार्थ बाहर नहीं निकलते, तो शरीर भारी महसूस होने लगता है, पाचन कमजोर होता है और औषधियां अपना पूरा असर नहीं दिखा पातीं। लेकिन जैसे ही कोष्ठ शुद्ध हो जाता है—
- पाचन शक्ति तेज़ होती है
- औषधियों का अवशोषण बढ़ता है
- शरीर हल्का, सक्रिय और मजबूत महसूस करता है
- प्रतिरोधक क्षमता में तेज़ वृद्धि होती है
आयुर्वेद के अनुसार, सामान्य परिस्थितियों में इस कार्य के लिए पंचकर्म सर्वश्रेष्ठ माना गया है, लेकिन महामारी या घरेलू जीवन में पंचकर्म कर पाना सभी के लिए संभव नहीं। ऐसे में घर पर ही साधारण कोष्ठ शुद्धि बहुत प्रभावी मानी जाती है।
कौन-कौन सी आयुर्वेदिक औषधियां करती हैं पेट की सफाई?
कायचिकित्सा विभाग की शोध छात्रा ऋचा त्रिपाठी बताती हैं कि निम्न आयुर्वेदिक औषधियां पेट की शुद्धि में अत्यंत प्रभावी हैं—
- त्रिफला चूर्ण
- गंधर्व हरीतिकी
- अभयारिष्ठ
- त्रिवृत लेह
ये औषधियां आंतों में जमा अपाच्य भोजन और दूषित कणों को बाहर निकालकर शरीर को भीतर से साफ करती हैं। शोधन के दौरान सुपाच्य, हल्का भोजन लेना विशेष रूप से लाभकारी है।
उदर शोधन (पेट शुद्धि) की सामान्य खुराक
सभी औषधियां रात में सोते समय लें
- त्रिफला चूर्ण / गंधर्व हरीतिकी- 3–5 ग्राम (लगभग 1 चम्मच)
- अभयारिष्ठ सिरप-10–15 मिली, समान मात्रा में पानी के साथ
- त्रिवृत लेह-5–10 ग्राम (लगभग 2 चम्मच)
यह खुराक एक सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के लिए है। शरीर की प्रकृति और क्षमता के अनुसार खुराक बदल सकती है। सेवन शुरू करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
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इन बातों का रखें ध्यान
- औषधियां हमेशा रात में लें
- शोधन के दौरान तला-भुना, भारी भोजन न खाएं
- केवल हल्का, सुपाच्य भोजन और पर्याप्त पानी लें
- कमजोरी या किसी बीमारी की स्थिति में डॉक्टर से परामर्श अनिवार्य है
