शिशु को चूरणे छारवे चुनचुने का घरेलु समाधान

छोटे बच्चों को चूरणे, छारवे, चुनचुने खाने की समस्या का घरेलु समाधान

छोटे बच्चों (नवजात शिशु) को अक्सर चुरने खाने की समस्या हो जाती है। बच्चा अक्सर दूध पिलाने के बाद भी रोता रहता है। ये आपको सुनिश्चित करना है की कहीं उसके मल त्याग स्थान के पास के पास कृमि तो पैदा नहीं हो गएँ हैं। आप शिशु के मल त्याग स्थान पर पर टोर्च की सहायता से देखें की कहीं उसके रोने का कारण कृमि तो नहीं हैं। ये कृमि सफ़ेद रंग के छोटे आकार के होते हैं। कृमि के द्वारा लगातार काटने से शिशु का मल त्यागने का मार्ग लाल हो जाता है और कभी कभी उसमे सूजन भी आ जाती है। यह कृमि लगभग २० प्रकार के होते हैं जो आँतों में घाव भी पैदा कर सकते हैं। यह सुनिश्चित करने के बाद की कृमि हैं आप दिए गए घरेलु नुस्खों का उपयोग करके इन कृमि को समाप्त कर सकते हैं। 
 
शिशु को चूरणे छारवे चुनचुने का घरेलु समाधान Churane/Chharave Ka Gharelu Ilaj

कृमि/चूरणे, छारवे, चुनचुने के पैदा होने के कारण

  1. नवजात शिशु मुख्य रूप से माँ के दूध पर आश्रित रहता है। इसलिए यह जरुरी है की उसकी माँ खान पान का पूरा ध्यान रखें।
  2. माँ के द्वारा तैलीय प्रदार्थों का सेवन करना।
  3. माँ को कब्ज की समस्या का रहना।
  4. माँ और अन्य रिश्तेदारों का बार बार नवजात शिशु को चूमना। नवजात शिशु सिर्फ दूध पीता है और बड़े लोग भोजन में अन्न लेते हैं। नवजात शिशु के मुंह पर बड़ों के द्वारा सांस छोड़ने (भोजन की सांस ) से भी शिशु के पेट में कृमि पैदा हो जाते हैं।
  5. नवजात शिशु को छूने से पहले अपने हाथ अच्छे से धो लेवे। आपकी शारीरिक अस्वछता से शिशु को समस्या हो सकती है।
  6. बच्चे को सुलाने की जगह, उसके डायपर की स्वछता का पूर्ण ध्यान रखें। 
 
मल त्यागने के स्थान/ मार्ग में कीड़े होने के संकेत :
  • शिशु का बार बार रोना।
  • शिशु का मल त्यागने के वक़्त पर बार बार रोना।
  • शिशु का बार बार नींद से जगना और अंगड़ाई लेते हुए रोना।
  • जाड दबा कर (पीस कर) रोना।
  • शिशु के मल का अधिक बदबूदार होना।
  • मल त्यागने के पास सूजन और लाल चकते के निशान का होना।

चुरने होने पर घरेलु उपचार

जब आपको यह सुनिश्चित हो जाय की शिशु को कृमि की शिकायत है तो आप दिए गए घरेलु उपचार कर सकते हैं। उपचार के साथ साथ ही आप बच्चे की शारीरिक स्वछता का पूर्ण ध्यान रखें और उसके नाख़ून को बढ़ने ना दे। यदि बोतल से दूध पिलाया जा रहा है तो बोतल की स्वछता का भी पूर्ण ध्यान रखें।

साफ़ सूती कपडे में चुटकी भर हींग लेकर उसकी छोटी सी पोटली बनाएं और शिशु के मल त्यागने के स्थान के पास लगाकर रखें। इससे शीघ्रता से कृमि समाप्त होने शुरू हो जाएंगे और शिशु को आराम मिलेगा। ये नुस्खें एक से छह माह के बच्चों के लिए ही है।
  • शिशु के मल त्यागने के स्थान में नीम के तेल का फोहा रखें इससे कृमि शीघ्र समाप्त होते हैं।
  • सिन्दूर से साथ चूंटिया घी (कच्चा घी) को मिलाकर चुटकी भर की मात्रा में फोहे में लगाकर शिशु के मल त्यागने के स्थान पर लगाएं।
  • रोटी पकाने वाले तवे की कालिख को सरसों के तेल में मिलाकर उसे रुई के फोहे में लगाकर शिशु के मल त्यागने के स्थान में लगाएं।
  • एक कच्चे आम की गुठली को सुखाकर पीस लें और इसे गुनगुने पानी में मिलाकर आधी चम्मच के हिसाब से बच्चे चम्मच से पिलायें।
  • नीम के तेल (५० एम् एल ) में आधा चम्मच हल्दी डालकर एक से डेढ़ मिनट तक पकाएं। ठंडा होने पर कॉटन के फोहे में थोड़ा सा लगाकर इसे शिशु के मल त्यागने के स्थान पर लगाकर रखें। हल्दी एंटीसेप्टिक होती है जिससे कृमि मर जाते हैं। इसे लगाने के बाद कृमि स्वतः ही मर जाते हैं और मल के साथ बाहर निकल जाते जाते हैं।
  • अरंड के पत्तों का हल्का सा रस फोहे में भिगोकर मल त्यागने के स्थान में लगाने से लाभ मिलता है।

बताये गए तरीकों में सावधानी

ज्यादा मात्रा में नीम का तेल, हींग, सिन्दूर को नहीं लगाए। थोड़े समय बाद फोहे को हटा लें।

पिनवर्म संक्रमण क्या होता है

पिनवर्म बारीक कीड़े होते हैं जो 2 मिमी. से लेकर 13 मिमी तक के आकार के हो सकते हैं। ये अत्यंत ही संक्रामक होते हैं और सम्पर्क में आने वाले व्यक्ति तक शीघ्र पहुंच सकते हैं क्योंकि ये कुछ समय तक शरीर से बाहर भी जीवित रह सकते हैं। पिनवर्म जो की बहुत ही बारीक धागे के जैसे सफ़ेद कीड़े होते हैं वे आपके शिशु की आँतों में पैदा होकरमल त्यागने के स्थान पर चिपक जाते हैं और काटने लगते हैं। पिनवर्म या पेट के कीड़े संक्रामक होते हैं इसलिए शिशु से माँ और अन्य परिवार के सदस्यों तक पहुँच जाते हैं। इसके बचाव के लिए हमें सावधानी रखनी चाहिए। जैसे की शिशु को यदि पिनवर्म या पेट के कीड़े की समस्या हो तो उसके संपर्क में आने के बाद अच्छे से साबुन से हाथ धोना और छोटे बच्चों को उससे दूर रखना। 
 
पेट में कीड़े होने पर अगर इसका इलाज नहीं किया गया तो यूरिन इन्फेक्शन की समस्या हो सकती है। पिनवार्म, जो पेट में सबसे आम प्रकार के कीड़े हैं, वह मूत्राशय तक पहुँच सकते हैं और मूत्र मार्ग को संक्रमित कर सकते हैं। इससे पेशाब में जलन, दर्द और बार-बार पेशाब आना जैसे लक्षण हो सकते हैं। पिनवार्म का इलाज आमतौर पर एंटीपैरासिटिक दवाओं से किया जाता है। दवा लेने के बाद, यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने बिस्तर और बाथरूम को अच्छी तरह से साफ करें ताकि अन्य लोग संक्रमित न हों।


छोटे बच्चों को चूरणे, छारवे, चुनचुने (मल त्यागने के स्थान में कीड़े) खाने की समस्या का घरेलु समाधान
 

Pinworms ka ilaj ! Chunne Katne ka ilaj ! Churne Ka Desi Ilaj ! Baby Ko Churne Hone Per Kya Kare

हुकवर्म संक्रमण छोटे बच्चों की सेहत के लिए एक गंभीर समस्या हो सकती है। यह समस्या संक्रमित मिट्टी के संपर्क में आने से होती है, जिससे त्वचा पर खुजली, लालिमा, और पेट दर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। बच्चे में कमजोरी, थकान, वजन में कमी और भूख न लगने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। यदि आपको लगे कि आपके बच्चे में ऐसे लक्षण हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर के इलाज के साथ कुछ घरेलू उपाय अपनाकर भी बच्चे को आराम दिलाया जा सकता है।

बच्चे की त्वचा पर खुजली और जलन को कम करने के लिए प्रभावित हिस्से को हल्के साबुन और गुनगुने पानी से धोकर साफ रखें और अच्छी तरह सुखा लें। खुजली से राहत पाने के लिए कैलामाइन लोशन या हाइड्रोकोर्टिसोन क्रीम का उपयोग कर सकते हैं। गर्म पानी में नहलाने से भी आराम मिलता है, और पानी में बेकिंग सोडा डालने से खुजली कम हो सकती है। बच्चे के नाखूनों को छोटा और साफ रखें ताकि वह खुजलाकर संक्रमण को और न बढ़ाए। इसके साथ ही, बच्चे को नियमित रूप से हाथ धोने और साफ-सफाई का ध्यान रखने की आदत डालें ताकि संक्रमण से बचाव हो सके।

शिशु को चूरणे छारने (मल त्यागने के स्थानमें कीटाणु) के लिए कुछ घरेलू समाधान उपलब्ध हैं। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:

हल्दी और नमक: गर्म पानी में थोड़ी सी हल्दी और नमक मिलाएं और इस मिश्रण को शिशु के चूरणे के स्थान पर लगाएं। इससे कीटाणु मारक प्रभाव महसूस होगा।
नारियल का तेल: शिशु के चूरणे के स्थान पर थोड़ा नारियल का तेल लगाने से उसकी त्वचा को नर्म बनाए रखने में मदद मिलती है।
तुलसी की पत्तियां: तुलसी की पत्तियों को पीसकर शिशु के चूरणे के स्थान पर लगाने से उसे आराम मिलता है और संक्रमण से बचाया जा सकता है।यह सुझाव केवल सामान्य ज्ञान और परंपरागत उपायों पर आधारित हैं। हालांकि, अगर शिशु के चूरणे के स्थान पर कोई समस्या है तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

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