बूढ़े हो रहे हैं उम्र कैसे बढ़ती है जाने सदा जवा रहने के टिप्स
बूढ़े हो रहे हैं उम्र कैसे बढ़ती है जाने सदा जवा रहने के टिप्स
हाल
के शोध में वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि उम्र बढ़ने के दौरान शरीर के
टिश्यू और कोशिकाओं में संरचनात्मक बदलाव/गड़बड़ी होती है। चीनी विज्ञान अकादमी
और बीजीआई रिसर्च के वैज्ञानिकों ने इस प्रक्रिया में इम्युनोग्लोबुलिन के
संचय को एक मुख्य कारण माना है, जो उम्र बढ़ने के प्रभावों को तेज कर सकता
है। आयुर्वेद में भी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया
गया है, ताकि उम्र बढ़ने के प्रभावों को कम किया जा सके।
आधुनिक विज्ञान ने उम्र बढ़ने के कई पहलुओं पर शोध किया है, लेकिन आयुर्वेद ने हजारों साल पहले ही इस प्रक्रिया को समझा और उसे संतुलित रखने के उपाय बताए हैं। आयुर्वेद के अनुसार, उम्र बढ़ने का कारण शरीर में वात, पित्त, और कफ दोषों का असंतुलन होता है। जैसे-जैसे ये दोष असंतुलित होते हैं, शरीर के टिश्यू और कोशिकाएं कमजोर होने लगती हैं, जिससे उम्र बढ़ने के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
आयुर्वेद में "रसायन" चिकित्सा को दीर्घायु, युवा दिखने और स्वास्थ्य को बनाए रखने का प्रमुख साधन माना गया है। रसायन चिकित्सा में ऐसी औषधियाँ और जड़ी-बूटियाँ शामिल हैं जो शरीर की कोशिकाओं को पोषण देती हैं और उन्हें मजबूत बनाती हैं। जैसे कि अश्वगंधा, गिलोय, ब्राह्मी, शतावरी और आंवला आयुर्वेद में मानी हुई ऐसी जड़ी-बूटियाँ हैं जो उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने में सहायक हैं। ये औषधियाँ शरीर में प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करती हैं और उम्र बढ़ने के प्रभावों को कम करती हैं।
चरक संहिता और सुश्रुत संहिता जैसे आयुर्वेदिक ग्रंथों में उम्र बढ़ने को नियंत्रित करने के लिए जीवनशैली, खानपान और दिनचर्या के महत्व पर जोर दिया गया है। इन ग्रंथों में सलाह दी गई है कि रोज सुबह सूर्योदय के समय उठना, ध्यान और योग करना, और सात्त्विक आहार लेना सेहत को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
चरक संहिता और सुश्रुत संहिता जैसे आयुर्वेदिक ग्रंथों में उम्र बढ़ने को नियंत्रित करने के लिए जीवनशैली, खानपान और दिनचर्या के महत्व पर जोर दिया गया है। इन ग्रंथों में सलाह दी गई है कि रोज सुबह सूर्योदय के समय उठना, ध्यान और योग करना, और सात्त्विक आहार लेना सेहत को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
क्या है उम्र बढ़ने का कारण
आयुर्वेदिक सुझाव जो कम करते हैं बढती उम्र के प्रभाव
आहार में संतुलन: आयुर्वेदिक आहार में ताजे फल, सब्जियाँ और पोषक तत्वों का सेवन प्रमुख होता है। आंवला, हल्दी, और तुलसी जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स उम्र बढ़ने को धीमा करने में सहायक माने गए हैं।
योग और ध्यान: नियमित योग और ध्यान से मन और शरीर में संतुलन बना रहता है, जो तनाव को कम करके शरीर की कोशिकाओं को मजबूत बनाता है।
रसायन औषधियाँ: अश्वगंधा, ब्राह्मी, और शिलाजीत जैसी औषधियाँ शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में सहायक होती हैं और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करती हैं।
दिनचर्या का पालन: नियमित दिनचर्या और स्वस्थ जीवनशैली का पालन करके हम शरीर के दोषों को संतुलित कर सकते हैं, जो कि आयुर्वेद का मुख्य उद्देश्य है।
योग और ध्यान: नियमित योग और ध्यान से मन और शरीर में संतुलन बना रहता है, जो तनाव को कम करके शरीर की कोशिकाओं को मजबूत बनाता है।
रसायन औषधियाँ: अश्वगंधा, ब्राह्मी, और शिलाजीत जैसी औषधियाँ शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में सहायक होती हैं और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करती हैं।
दिनचर्या का पालन: नियमित दिनचर्या और स्वस्थ जीवनशैली का पालन करके हम शरीर के दोषों को संतुलित कर सकते हैं, जो कि आयुर्वेद का मुख्य उद्देश्य है।
सेचुरेटेड फैट (saturated fat) से बचे :आयुर्वेद
के अनुसार भोजन को सरल और पचने में आसान होना चाहिए। संतृप्त वसा, जैसे
मांसाहार और डेयरी प्रोडक्ट्स में पाया जाने वाला वसा, शरीर को अधिक तेजी
से बूढ़ा बना सकता है। इसके बजाय ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर भोजन, जैसे कि
अलसी, अखरोट और तिल का तेल, उपयोग करना चाहिए। ये मस्तिष्क और हृदय के लिए
फायदेमंद होते हैं।