कफ्फ का घरेलू उपचार पायें बलगम से निजाद

कफ्फ का घरेलू उपचार Home Remedies for Cough and Cold

कफ्फ का घरेलू उपचार Home Remedies for Cough and Cold

यदि आपको कफ्फ रहता है, खांसी के साथ बलगम आता है, या फिर फेफड़ों में कफ्फ जमा हो गया है और समय के साथ स्वतः ही ठीक नहीं हो पा रहा है तो इस विषय पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इस विषय में आप सर्वप्रथम वैद्य की सलाह लें और उचित परामर्श के उपरांत आहार से सबंधित कुछ सामान्य बिंदुओं पर ध्यान दें। 
 
कफ्फ होने पर क्या खाना और क्या नहीं खाना चाहिए बहुत महत्पूर्ण हो जाता है। कफ्फ के दौरान क्या औषधि लेनी है इससे भी अधिक जरूरी है कि हम जाने कि हमें किस आहार का का सेवन करने से परहेज करना है क्योंकि आयुर्वेद में परहेज भी रोगों से आधा निदान देता है। यदि परहेज रखा जाए तो ओषधियाँ भी अधिक जल्दी जल्दी असर दिखाती हैं। यदि आप परहेज करना सीख जाते हैं, तो ओषधियाँ भी अपना असर जल्दी दिखाएंगी और आप शीघ्र आरोग्य को प्राप्त होंगे। खांसी, बलगम छींक आना कफ्फ रोग लक्षण हैं जिनका मूल कारण है शरीर में जल तत्व की वृद्धि या जल तत्व का अनियंत्रित हो जाना।
  • दूध और दूध से बने उत्पाद जैसे दही, छाछ और पनीर कफ्फ को बढ़ाते हैं। इसलिए दूध का सेवन ना ही करें तो बेहतर है यदि दूध पिया ही जाय तो आप दूध की तासीर को गर्म करने के लिए दूध में अपने स्वाद के अनुसार अदरक, छोटी पिप्पली, बड़ी इलायची आदि मिला लें। आप चाहें तो दूध में हल्दी मिलाकर उसका सेवन कर सकते हैं। हल्दी से दूध की तासीर भी गर्म हो जायेगी और हल्दी से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास होगा। कभी भी दूध को ठंडा करके नहीं पीये बल्कि गुनगुने दूध को पिए।
  • सब्जी बनाने में तिल के तेल का उपयोग करें। सर्दियों में तो आप जितना तिल का तेल का सेवन करें वह कम ही होता है। तिल का तेल में रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास करने के जबरदस्त गुण होते हैं जो आपको कई प्रकार की मौसमी बीमारियों से भी दूर रखने में सहायक होते हैं। कुकिंग ऑयल के रूप में तिल के तेल के उपयोग के अलावा आप इसे पराठें आदि बनाने में भी उपयोग करें। इसकी तासीर भी गर्म होती है इसलिए कफ्फ रोगों में यह लाभदायी होता है।
  • रोज खाने के उपरांत नियमित रूप से गुड का इस्तेमाल करें। गुड़ की तासीर गर्म होती है जबकि गन्ने के रस की तासीर ठंडी होती है। गन्ने के रस से गुड़ बनाने की प्रक्रिया में इसकी तासीर बदल जाती है। सर्दियों में तो आप नियमित रूप से गुड़ का सेवन करें। गुड़ में शरीर से विषाक्त गुणों को शरीर से बाहर निकालने की क्षमता होती है साथ ही गुड़ हमारे शरीर में फास्फोरस की पूर्ति भी करता है। यह ज्ञात तथ्य है की फास्फोरस के अभाव में कफ्फ बढ़ता है। गुड़ के विषय में ध्यान रखने योग्य है की आप सफ़ेद गुड़ के चक्कर में ना पड़ें और शुद्ध गुड़ का ही इस्तेमाल करें जो कुछ गहरे चॉक्लेट कलर का होता है। सफ़ेद गुड़ की तुलना में काला (गहरा कत्थई ) गुड़ ज्यादा लाभदायी होता है। 
  • कच्चा नारियल और नारियल पानी का सेवन प्रायः नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इसमें भी जल तत्व की प्रधानता होती है। यदि पका हुआ नारियल है तो इसका सेवन किया जा सकता हैं क्योंकि इसमें अग्नि तत्व की समुचित मात्रा होती है।
  • बटर या कच्चे घी के साथ ही भैंस के घी का उपयोग भी परहेज करें। आप देसी गाय के दूध से निर्मित उस घी का सेवन करें जिसे बनाने के दौरान उसका पूरा पानी सूखा लिया गया हो।कच्चे घी, बटर में जल तत्व की प्रधानता होती है इसलिए यह कफ्फ को बढ़ाता है। देसी गाय के दूध और घी में आश्चर्यजनक रूप से रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ ही एंटी बेक्टेरियल गुण भी होते हैं। (अधिक जानें : देसी गाय के घी के लाभ )
  • शुद्ध शहद का सेवन करें जिसकी तासीर गर्म होती है और सर्दी खांसी को दूर करता है। (अधिक जानें शहद के विषय में )
  • केले का उपयोग भी कफ्फ को बढ़ा सकता है इसलिए कफ्फ के दौरान केले का सेवन नहीं करें केले में जल तत्व भी अधिक होता है और साथ ही इसकी तासीर भी ठंडी होती है ऐसे ही तरबूज और खरबूज का सेवन भी नहीं करें क्योंकि इनकी तासीर ठंडी और इनमें जल तत्व की प्रधानता होती है
  • ठंडा पानी बिल्कुल भी ना पिए जब भी आपको पानी पीना हो उसे हल्का गुनगुना करके ही पिए। वैसे कफ्फ प्रवृति के व्यक्ति को पानी की प्यास भी कम ही लगती है।
  • कफ के दौरान विशेषकर सर्दियों में सुबह और शाम को अपने शरीर को गर्म रखें। सर्दियों में दोपहर के वक़्त धूप का सेवन करें।
  • खाने में चावल से परहेज करना चाहिए क्योंकि चावल की तासीर ठंडी होती है। यदि चावल खाना ही हो तो आप चावल में तेज पत्ते, या गरम मसाला का छौंक जरूर लगाएं।
  • इनके अतिरिक्त आप गिलोय सत (अधिक जानें : गिलोय सत् क्या है और इसके लाभ ) का उपयोग भी कर सकते हैं जिसे आप सुबह और शाम को शहद के साथ सेवन करें तो यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करेगा और कफ को भी नियंत्रित करेगा। गिलोय सत की उचित मात्रा आप वैद्य की सलाह लें। इसके अतिरिक्त वैद्य से गर्म क्वाथ लें जो शरीर में गर्मी पैदा करते हों यथा आप श्वासारी क्वाथ का भी सेवन कर सकते हैं (अधिक जानें :  स्वांसारी क्वाथ क्या है और इसके लाभ )
बच्चे की खांसी का इलाज करना एक मुश्किल काम हो सकता है और इस विषय पर डॉक्टर्स की सलाह लेनी चाहिए हालांकि, हाल के वर्षों में, खांसी से राहत के लिए ओटीसी दवाओं बनाम वैकल्पिक घरेलू उपचार, जैसे शहद की दक्षता को लेकर बढ़ती बहस हुई है।

कुछ घरेलू उपचारों की एक व्यापक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है, क्योंकि आधुनिक चिकित्सा के युग से पहले कई लोग मसालों और जड़ी बूटियों का उपयोग बालों, त्वचा, या आहार के मुद्दों के इलाज के लिए करते हैं। फिर भी, यह सभी प्राकृतिक उपचार दृष्टिकोण परीक्षण-और-त्रुटि प्रक्रिया को शामिल कर सकते हैं, जिसमें लाभकारी गुण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होते हैं।
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