नवजात शिशु को कब पानी पिलाना शुरू करें

नवजात शिशु को कब पानी पिलाना शुरू करें

माँ के लिए अपने बच्चे की देखभाल से सबंधित कई विचार उसके मन में उठते हैं। बच्चे की देखभाल के बारे में उसे कई प्रकार की सलाह रिश्तेदारों और उसके जानकारों के द्वारा दी जाती है। कई बार दी गयी राय सही नहीं होती है और सभ की राय अलग अलग भी होती होती है। एक ऐसा ही प्रश्न होता है की शिशु को पानी कब पिलाना चाहिए और कितनी मात्रा में पिलाना चाहिए। क्या बच्चे को डीहाइड्रेड से बचाने के लिए अलग से पानी आवश्यकता होती है। आइये जानते हैं की विशेषज्ञों की इस विषय पर क्या सुझाव हैं। 

01 से 06 माह (नवजात शिशु) को क्या पानी पिलाना चाहिए ? नवजात शिशु को माँ के दूध के अतिरिक्त पानी की आवश्यकता नहीं होती है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की सर्दी है या गर्मी। हाईड्रेसन की पूर्ति बच्चे को माँ के दूध से ही हो जाती है। छः माह से कम उम्र के शिशु को अतिरिक्त पानी देने से कई बार शिशु के स्वास्थ्य पर इसका विपरीत प्रभाव भी होता है यथा दूध कम पीना, पोषण का अभाव और पानी का नशा होना आदि। इसके अतिरिक्त नवजात शिशु को पानी पिलाने से ओरल वाटर इंटोक्सिकेशन का खतरा बना रहता है जिससे शिशु के मस्तिष्क और हृदय पर इसका विपरीत प्रभाव भी हो सकता है। नवजात शिशु को दूध ना पिलाकर पानी पिलाने से डाईरीआ और मैल्नूट्रिशन का खतरा भी बना रहता है। यह बात आपको समझनी चाहिए की जब तक आपका शिशु ठोस भोजन ग्रहण नहीं करता है उसकी पानी की आवश्यकता माँ के दूध से ही हो जाती है।

नवजात शिशु को पानी पिलाने से पहले यह भी समझ ले की डॉक्टर की सलाह के बगैर उसे पानी नहीं पिलाये। यदि कोई शिशु बीमार हो जाए तभी डॉक्टर भी विशेष परिस्थितियों में ही शिशु को पानी पिलाने की सलाह देता है।

माँ के दूध उतना ही बनता है जितना शिशु ग्रहण करता है। यदि शिशु को पानी पिलाया जाता है तो उसका पेट भर जाता है और वह दूध नहीं पीता है। इससे शिशु का पोषण रुक जाता है और उसका वजन कम होने लगता है। माँ के भी दूध बनना कम हो जाता है।

कुछ लोग सोचते हैं की फलों का ज्यूस क्यों ना शिशु को पिलाया जाय, लेकिन ऐसा कभी नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से छोटे बच्चे की जीभ में विकार हो सकते हैं और ज्यूस में जो शुगर होती है उसके कारण उसके पेट में ऐंठन और मरोड़े जैसी स्थिति बन सकती है। इसलिए विशेष रूप से ध्यान रखें के बच्चे को पानी या ज्यूस नहीं पिलाना चाहिए बल्कि पूर्ण रूप माँ का ही दूध पिलाना चाहिए। जब आपका शिशु ठोस भोजन ग्रहण करने लग जाए (लगभग 06 माह की आयु) तो आप शिशु को पानी पिलाना शुरू कर सकते हैं। सबसे श्रेष्ठ स्थिति यही है की 06 माह की आयु से पूर्व शिशु को पानी नहीं पिलाना चाहिए।

नवजात शिशु के स्वास्थ्य के बारे में निम्न बातों पर विशेष ध्यान दें
  • स्तनपान शिशु की आवश्यकतावों और जरूरतों के अनुकूल, पोषण प्रदान करने का प्राकृतिक तरीका होता है।
  • डॉक्टर्स के अनुसार आधे साल की उम्र तक भोजन या तरल पदार्थ को शामिल के बिना स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है।
  • माँ का दूध आमतौर पर आधे वर्ष की आयु तक बच्चे की पोषण संबंधी सभी जरूरतों को पूरा करता है।
  • नवजात शिशु का पेट माँ के दूध से ही भर जाता है। यदि दूध पिलाने के उपरांत भी शिशु रोता है तो डॉक्टर की सलाह लेवें
  • नवजात शिशु को पानी पिलाने से लाभ के स्थान पर हानि भी हो सकती है।
  • नवजात शिशु को समस्त पोषण और पानी की आपूर्ति माँ के दूध से हो जाती है, इसके लिए अन्य किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है।
  • शिशु को पानी पिलाने के सबंध में सलाह
  • 6 माह की आयु पूर्ण कर लेने पर जब शिशु बैठने में सक्षम हो जाए।
  • शिशु जब अपना सर (Head) स्वंय सँभालने लायक हो जाय और गर्दन को स्थिर कर ले।
  • जब खाना उसके मुंह के पास लाया जाय तो शिशु खाने के प्रति रूचि दिखाए और उसे ग्रहण करने के लिए लालायित होने लगे।
  • मुंह में खाने को एक तरफ से दूसरी तरफ ले जाकर खाने की क्षमता विकसित होने पर।
  • अपने हाथों से विभिन्न वस्तुओं को खाने के प्रयोजन से मुंह के करीब लाने लग जाय। 
नवजात शिशु को 6 महीने तक केवल मां के दूध या फॉर्मूला मिल्क पर ही निर्भर रहना चाहिए। 6 महीने के बाद, जब शिशु ठोस आहार लेना शुरू कर देता है, तो उसे पानी पिलाना शुरू किया जा सकता है। 6 महीने से पहले शिशु को पानी पिलाने से कई समस्याएं हो सकती हैं, जैसे:
  • पानी की विषाक्तता: 6 महीने से पहले शिशु का पेट छोटा होता है और वह थोड़ी मात्रा में पानी भी नहीं पचा पाता है। इससे पानी की विषाक्तता हो सकती है, जो एक गंभीर स्थिति है जो शिशु की मृत्यु का कारण भी बन सकती है।
  • दूध पीने में कमी: पानी पीने से शिशु को दूध पीने में कम दिलचस्पी हो सकती है, जिससे उसे आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं।
  • दस्त: पानी से शिशु को दस्त हो सकते हैं, जिससे उसे निर्जलीकरण हो सकता है।
6 महीने के बाद, शिशु को दिन में 2-3 बार पानी पिलाना चाहिए। शिशु को कमरे के तापमान का पानी पिलाना चाहिए। शिशु को पानी पिलाने के लिए एक बोतल या चम्मच का इस्तेमाल किया जा सकता है।

यहां कुछ संकेत दिए गए हैं कि आपका शिशु पानी पीने के लिए तैयार है:
  • शिशु ठोस आहार ले रहा है।
  • शिशु दिन में 6-8 बार पेशाब कर रहा है।
  • शिशु के मल सूखे हैं।
  • शिशु गर्म मौसम में है।
यदि आपके बच्चे को पानी पीने में कोई समस्या है, तो अपने डॉक्टर से बात करें।

क्यों 6 महीने बाद ही शिशु को पिलाया जाता है पानी?

मां के दूध में पर्याप्त पानी होता है: मां के दूध में लगभग 80% पानी होता है, जो शिशु को हाइड्रेट रखने के लिए पर्याप्त होता है। 6 महीने के बाद शिशु के पेट का आकार बढ़ जाता है: 6 महीने के बाद शिशु का पेट बड़ा हो जाता है और वह थोड़ी मात्रा में पानी भी पचा सकता है। 6 महीने के बाद शिशु ठोस आहार लेना शुरू कर देता है: ठोस आहार के साथ, शिशु को अधिक पानी की आवश्यकता होती है। 

पानी पिलाने का सही समय क्या है?

विशेषज्ञों के मुताबिक, 6 महीने से पहले बच्चों को पानी पिलाने की जरूरत नहीं होती है। क्योंकि इस उम्र तक उनके लिए मां का दूध ही पर्याप्त होता है। मां के दूध में लगभग 80% पानी होता है, जो बच्चे की सभी तरल पदार्थ की जरूरतों को पूरा करता है।

6 महीने के बाद, जब बच्चे को ठोस आहार दिया जाना शुरू हो जाता है, तो उन्हें पानी पिलाने की जरूरत होती है। क्योंकि ठोस आहार में पानी की मात्रा कम होती है। इस उम्र में बच्चे को दिन में 2-3 बार पानी पिलाना चाहिए।

कैसे पता करें बच्चे की बॉडी है हाइड्रेट

अगर बच्चा 24 घंटे में 6 से 8 बार पेशाब कर रहा है, तो आपको समझ लेना चाहिये की बच्चे में पानी की कमी नहीं है.

छह से 12 महीने के बच्‍चे के लिए पानी

छह महीने के बाद बच्चे को दूध के साथ-साथ पानी भी पिलाना शुरू कर देना चाहिए। छह महीने के बच्चे को प्रतिदिन लगभग 118.294 मिलीलीटर (4 औंस) पानी की आवश्यकता होती है। यह मात्रा बच्चे के आकार और गतिविधि स्तर के आधार पर भिन्न हो सकती है।

यदि आपका बच्चा बहुत अधिक सक्रिय है, तो उसे अधिक पानी की आवश्यकता हो सकती है। यदि आपका बच्चा बीमार है या दस्त है, तो उसे भी अधिक पानी की आवश्यकता हो सकती है। 
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